बच्चे की हर बात मानना या कोई भी बात नहीं मानना , ये दोनों गलत है
इस परिस्तिथि में बच्चे की छोटी छोटी बातें मानकर बच्चे की जिद व गुस्सा कम कर सकते है
हमेशा याद रखें की जब भी आप गुस्से में हो, तो बच्चे से बात करने से बचें
अगर बच्चे को 'ना' भी कहना हो तो,प्यार से,संवेदनशील भाषा में अपनी बात रखें
बच्चे से आपकी bonding मजबूत रखें ,ताकि वो आपकी बातें सुने और उस पर विश्वास करे
अगर बच्चा हर बात मनवाने की जिद करता है,तो उसे डांटे या मारे नहीं वरना वह आपको अपना दुश्मन समझने लगेगा
बचपन से ही बातों-बातों में घर की सामाजिक आर्थिक परिस्तिथि से अवगत कराते रहें
कैसे सिखाएं बच्चों में आदर की भावना
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