ll प्रवररुधा चण्डकोप्तस्त्रकायेर्युतप्रसादम् तनुते माह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ll
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप, माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा को ज्ञान और शक्ति की देवी माना जाता है।
माता चंद्रघंटा सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं और अपने भक्तों को सकारात्मकता प्रदान करती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता चंद्रघंटा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से प्रकट हुई थीं।
माता चंद्रघंटा को दस भुजाओं वाली, सिंह पर सवार, अर्धचंद्र के साथ शोभित और दिव्य आभूषणों से सुसज्जित दिखाया जाता है।
विद्यार्थियों के लिए माता चंद्रघंटा की पूजा विशेष रूप से लाभदायक होती है।
इनके माथे पर अर्धचंद्र शोभित रहता है जो शांत और शांतिदायक स्वभाव को दर्शाता है।
माता चंद्रघंटा का स्वरूप शांति और उग्रता का एक अनूठा समन्वय है।