Vinayak Damodar Savarkar एक क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता, और विचारक थे। उन्होंने हिंदू समाज में कई सामाजिक सुधारों के लिए काम किया। शरीर से दुबले पतले होने केबाद भी उनके दिमाग के कारण ,अंग्रेज उनको सबसे खतरनाक क्रन्तिकारी मानते थे . Savarkar के कार्यों का हिंदू समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने हिंदुओं को एकजुट करने और उन्हें सामाजिक बुराइयों से मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Table of Contents
S.N. | नाम | विनायक दामोदर सावरकर Vinayak Damodar Savarkar |
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1 | जन्म | 28 मई 1883 |
2 | जन्म स्थान | भागुर(नासिक)-बम्बई प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत |
3 | मृत्यु | 26 फरवरी 1966 |
4 | शिक्षा | फर्ग्यूसन कॉलेज-कला स्नातक, |
5 | राजनीतिक दल | अखिल भारतीय हिन्दू महासभा |
6 | माता-पिता | राधाबाई-दामोदर पन्त सावरकर |
7 | संगठन | मित्रमेला |
8 | पत्नी | यमुनाबाई |
9 | बच्चे |
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10 | उपनाम | वीर सावरकर |
11 | पुस्तक | “द हिस्ट्री ऑफ़ द वॉर ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेण्डेन्स” |
12 | नारा | स्वदेशी ,पूर्ण स्वतंत्रता की मांग |
13 | आदर्श | महात्मा गाँधी ,स्वामी विवेकानंद । |
14 | पुस्तक (आत्मकथा ) | ”my country my life” |
15 | upcoming movie | 2024 : “Swatantra Veer Savarkar” |
Vinayak Damodar Savarkar का शुरूआती जीवन:
Savarkar का जन्म और परिवार:
- Vinayak Damodar Savarkar का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नाशिक जिले के भागुर गांव में हुआ था।*
- उनके पिता दामोदर पांडुरंग सावरकर एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता थे।
- उनकी माता Radhabai Damodar Savarkar धार्मिक और दयालु महिला थीं।
- Savarkar चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।
शिक्षा और प्रारंभिक गतिविधियां:
- Vinayak Damodar Savarkar अपनी प्राथमिक शिक्षा भागुर में ही प्राप्त की।
- 1893 में, वे पुणे के नूतन मराठी विद्यालय में पढ़ने के लिए गए।
- 1902 में, उन्होंने फर्ग्यूसन कॉलेज में प्रवेश लिया।
- 1906 में, वे लंदन गए और वहां कानून और इतिहास की पढ़ाई की।
- लंदन में रहते हुए, वे क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए।
- उन्होंने ‘मित्रमेला‘ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
- ‘इंडिया हाउस’ में रहते हुए उन्होंने ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक पुस्तक लिखी।
क्रांतिकारी गतिविधियां:
- 1910 में, वे भारत लौटे और क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे।
- Vinayak Damodar Savarkar ‘अभिनव भारत’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
- 1911 में, उन्हें नासिक षड्यंत्र केस में दोषी ठहराया गया और उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल रखा और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
- Vinayak Damodar Savarkar को 1911 में नासिक षड्यंत्र केस में दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित सेलुलर जेल में भेज दिया गया था।
Savarkar को जेल में अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्हें भारी श्रम करने के लिए मजबूर किया गया, और उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखा गया। उन्हें अपनी पत्नी या परिवार से मिलने की अनुमति नहीं थी।
हालांकि, Savarkar ने इन कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। उन्होंने जेल में रहते हुए कई किताबें और कविताएँ लिखीं। उन्होंने कैदियों को शिक्षित करने और उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए भी काम किया।
* Vinayak Damodar Savarkar 1924 में जेल से रिहा हुए। उन्होंने भारत लौटकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना जारी रखा।
Savarkar को सेलुलर जेल में भेजने के पीछे ब्रिटिश सरकार के कई कारण थे:
- उन्हें एक खतरनाक क्रांतिकारी माना जाता था।
- उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में देखा जाता था।
- ब्रिटिश सरकार उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखना चाहती थी।
- 1924 में, उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हैं:
- 1897 में, उन्होंने बाल गंगाधर Tilak के भाषणों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया।
- 1900 में, उन्होंने ‘कमला’ नामक एक नाटक लिखा, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया।
Savarkar की भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिका
Vinayak Damodar Savarkar भारत छोड़ो आन्दोलन में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे।
उनके विचार:
- Savarkar पूर्ण स्वतंत्रता के समर्थक थे, लेकिन वे गांधीजी के तरीकों से सहमत नहीं थे।
- उनका मानना था कि क्रांतिकारी तरीकों से ही अंग्रेजों को भारत से भगाया जा सकता है।
- वे हिंदुत्व के विचार को समर्थन देते थे और हिंदू-मुस्लिम एकता को आवश्यक नहीं समझते थे।
उनकी भूमिका:
- Savarkar ने हिंदू महासभा के माध्यम से भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने क्रांतिकारियों को संगठित करने और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए मदद की।
- उन्होंने भारतीयों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
आलोचना:
- Savarkarकी आलोचना इस लिए भी की जाती है कि उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन नहीं किया।
- उन पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि वे साम्प्रदायिक विचारों के समर्थक थे।
Savarkar द्वारा लिखे साहित्य, कहानी, नाटक
साहित्य:
- कविता: “गीतारहस्य”, “कमला”, “सागर”, “जय हिंद”
- उपन्यास: “1857 का स्वातंत्र्य समर”, “गोमांतक”, “कमला”
- इतिहास: “1857 का स्वातंत्र्य समर”, “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास”
- राजनीतिक: “हिंदुत्व”, “1857 का विद्रोह”, “भारत का भविष्य”
कहानी:
- गोमांतक: यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो गोवा में पुर्तगाली शासन के खिलाफ लड़ाई पर आधारित है।
- कमला: यह एक सामाजिक उपन्यास है जो जातिवाद और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों पर आधारित है।
नाटक:
- महाकाव्य: यह एक ऐतिहासिक नाटक है जो छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित है।
- सावित्री: यह एक पौराणिक नाटक है जो सावित्री और सत्यवान की कहानी पर आधारित है।
- 1905 में, उन्होंने ‘हिंदुत्व’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद की अवधारणा को विकसित किया।
- वे एक क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार, राजनेता, वकील, कवि, लेखक और नाटककार थे।
- उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
Vinayak Damodar Savarkar के जीवन पर बनी फिल्में:
- 1933: “Veer Savarkar” (मराठी)
- 2001: “Swatantryaveer Savarkar” (मराठी)
- 2024 : “Swatantra Veer Savarkar” (हिंदी)
2024 में रिलीज़ होने वाली फिल्म “स्वतंत्र वीर सावरकर” Savarkar के जीवन पर आधारित फिल्म है। यह फिल्म रणदीप हुड्डा द्वारा अभिनीत और निर्देशित है।
अन्य फिल्में:
- “1857 का विद्रोह” (1946) – इसमें Savarkar का एक छोटा सा किरदार है।
- “शहीद” (1965) – इसमें भी Savarkar का एक छोटा सा किरदार है।
Vinayak Damodar Savarkar की upcoming movie
“इंडिया हाउस” (2024) – यह फिल्म Savarkar के लंदन में रहने और “इंडिया हाउस” में उनकी गतिविधियों पर आधारित होगी।
2024 में रिलीज़ होने वाली फिल्म “स्वतंत्र वीर सावरकर” Savarkar के जीवन पर आधारित फिल्म है। यह फिल्म रणदीप हुड्डा द्वारा अभिनीत और निर्देशित है।
Savarkar द्वारा सामाजिक उत्थान के लिए उठाये गए कदम
Vinayak Damodar Savarkar एक क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता, और विचारक थे। उन्होंने हिंदू समाज में कई सामाजिक सुधारों के लिए काम किया।
उनके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
जातिवाद और अस्पृश्यता का विरोध: सावरकर जातिवाद और अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। उन्होंने सभी हिंदुओं को समान अधिकार देने के लिए काम किया।
- हिंदू राष्ट्रवाद: सावरकर ने हिंदू राष्ट्रवाद के विचार को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि हिंदू एक राष्ट्र हैं और उन्हें एक साथ रहना चाहिए।
- शिक्षा और साक्षरता: सावरकर ने हिंदुओं को शिक्षित बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कई शिक्षा संस्थानों की स्थापना की और साक्षरता अभियान चलाया।
- महिला सशक्तिकरण: सावरकर महिला सशक्तिकरण के समर्थक थे। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए काम किया।
- स्वदेशी आंदोलन: सावरकर ने स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने हिंदुओं को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और देशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
Vinayak Damodar Savarkar के कार्यों का हिंदू समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने हिंदुओं को एकजुट करने और उन्हें सामाजिक बुराइयों से मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि Savarkar के विचार और कार्य विवादास्पद हैं। उन पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि वे साम्प्रदायिक विचारों के समर्थक थे।
Vinayak Damodar Savarkar और कपूर आयोग
कपूर आयोग भारत सरकार द्वारा 1964 में स्थापित एक न्यायिक आयोग था। इसका गठन महात्मा गांधी की हत्या की जांच के लिए किया गया था।
Savarkar एक भारतीय क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता, और विचारक थे। उन पर गांधी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
आयोग ने पाया कि Savarkar और उनकी पार्टी, हिंदू महासभा, गांधी हत्या की साजिश में शामिल थे। आयोग ने यह भी पाया कि सावरकर ने हत्याकांड को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
हालांकि, Savarkar को अदालत में बरी कर दिया गया था। इसके कई कारण थे:
- पर्याप्त सबूत नहीं थे
- गवाहों के बयान विरोधाभासी थे
- सावरकर एक प्रभावशाली नेता थे
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