syed abdul rahim जिन्हें “रहीम साहब” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय फुटबॉल के एक महान कोच और प्रबंधक थे। रहीम साहब भारतीय फुटबॉल के “स्वर्ण युग” के लिए ज़िम्मेदार थे। उन्होंने 1950 से 1963 में अपनी मृत्यु तक भारत की राष्ट्रीय टीम का प्रबंधन किया। उनके नेतृत्व में, भारत ने 1956 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सेमीफाइनल में प्रवेश किया और वें स्थान हासिल करने वाला पहला एशियाई देश बन गया।
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BIOGRAPHIC TABLE OF syed abdul rahim
पूरा नाम | सैयद अब्दुल रहीम syed abdul rahim |
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उपनाम | रहीम साब |
जन्म तिथि | 17 अगस्त 1909, |
जन्म स्थान | हैदराबाद, भारत |
पिता का नाम | सैय्यद उमर हुसैन |
शिक्षा | माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा तक |
फुटबॉल करियर | हैदराबाद क्लब, भारतीय राष्ट्रीय टीम |
कोचिंग करियर | 1950 से 1963 तक |
प्रमुख सम्मान | पद्मश्री |
मृत्यु तिथि | 1963 |
संगठन | भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन, हैदराबाद क्लब, भारतीय राष्ट्रीय टीम |
मृत्यु | 11 जून 1963, भारत |
syed abdul rahim का प्रारंभिक जीवन और परिवार
जन्म और शिक्षा:
syed abdul rahim का जन्म 17 अगस्त 1909 को हैदराबाद, भारत में हुआ था।उनके पिता सैयद मोहम्मद हुसैन एक वकील थे और उनकी माता का नाम बेगम साहिबा था।रहीम साहब ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में ही प्राप्त की।उन्होंने 1932 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
परिवार:
रहीम साहब [ syed abdul rahim ] ने 1935 में अपनी चचेरी बहन नूरजहाँ बेगम से शादी की।उनके दो बेटे और दो बेटियाँ थीं।उनके बेटे, सैयद शहीद हकीम,भी एक प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी थे।और ध्यानचन्द्र पुरुस्कार से सम्मानित थे |
प्रारंभिक करियर:
- स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, रहीम साहब [ syed abdul rahim ] ने एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।
- वे हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में पढ़ाते थे।
- वे एक उत्साही फुटबॉल खिलाड़ी भी थे और हैदराबाद की कई टीमों के लिए खेले।
फुटबॉल करियर की शुरुआत
रहीम की फुटबॉल करियर की शुरुआत हैदराबाद क्लब से हुई। उन्होंने क्लब फुटबॉल में अपनी प्रतिभा साबित की और बाद में भारतीय राष्ट्रीय टीम में भी काम किया
कोचिंग करियर:
syed abdul rahim ने 1948 में हैदराबाद की राज्य टीम के कोच के रूप में अपना करियर शुरू किया।उन्होंने 1950 में भारत की राष्ट्रीय टीम का कोच बनने से पहले कई क्लबों और राज्य टीमों को कोचिंग दी।
हैदराबादी सिटी पुलिस क्लब-1950 से 1955 तक हेदराबाद टीम ने 5 रोवर्स कप जीते |
हैदराबाद फुटबॉल टीम –रहीम ने संतोष ट्रोफी के दौरान इस टीम का प्रबंधन किया है|
भारत -syed abdul rahim भारतीय फुटबॉल के एक महान कोच और प्रबंधक थे।उन्होंने भारतीय फुटबॉल के “स्वर्ण युग” के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उनका भारतीय फुटबॉल पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें आधुनिक भारतीय फुटबॉल का “वास्तुकार” माना जाता है.|
1950 में रहीम भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के प्रबंधक बने जहा ,1951 के एशियाई खेलो में इन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया ,यह जीत ईरान को 1-0 से हराकर हासिल की गई थी |
रहीम साहब के नेतृत्व में, भारत ने 1956 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सेमीफाइनल में प्रवेश किया और वें स्थान हासिल करने वाला पहला एशियाई देश बन गया। जो आज भी फुटबॉल जगत की सबसे बड़ी जीत है |
अपने कोचिंग career में रहीम साब को आखरी सफलता 1962 के जकार्ता में मिली जहा पर भारतीय टीम ने एक लाख़ audience के सामने फाइनल में दक्षिण कोरिया को हराया था |
सैयद अब्दुल रहीम की रणनीति और शेली
- आधुनिक फुटबॉल: रहीम साब भारतीय फुटबॉल को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 4-2-4 रणनीति का उपयोग किया, जो उस समय दुनिया भर में लोकप्रिय थी।
- शारीरिक फिटनेस: वे खिलाड़ियों की शारीरिक फिटनेस पर बहुत ध्यान देते थे। उन्होंने कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए और खिलाड़ियों को अनुशासित रहने के लिए प्रेरित किया।
- टीम वर्क: वे टीम वर्क में विश्वास करते थे और खिलाड़ियों को एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
- आक्रामक फुटबॉल: वे आक्रामक फुटबॉल खेलने में विश्वास करते थे और खिलाड़ियों को गोल करने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
सम्मान
सैयद अब्दुल रहीम का निधन 11 जून 1963 को 53 वर्ष की आयु में कैंसर से हुआ था। वे छह महीने से बिस्तर पर थे।
उनकी मृत्यु भारतीय फुटबॉल के लिए एक बड़ी क्षति थी। देश भर में उनके निधन पर शोक मनाया गया।
यह पुरस्कार 2022-23 सीज़न से लागू हुआ।
यह पुरस्कार सैयद अब्दुल रहीम के योगदान को सम्मानित करने के लिए दिया गया है, जिन्हें “भारतीय फुटबॉल का जनक” माना जाता है।
यह पुरस्कार भारतीय फुटबॉल में सैयद अब्दुल रहीम के योगदान को याद रखने और युवा कोचों को प्रेरित करने में मदद करेगा।
मैदान: सैयद अब्दुल रहीम पर बनी फिल्म
मैदान 2022 में रिलीज होने वाली थी पर किसी कारण से यह फिल्म ईद 2024 को रिलीज़ होगी जो syed abdul rahim के जीवन पर आधारित है। अजय देवगन ने फिल्म में सैयद अब्दुल रहीम का किरदार निभाया है।
फिल्म का निर्देशन अमित शर्मा ने किया है और संगीत A.R .रहमान द्वारा दिया गया है
फिल्म की कहानी 1950 के दशक में भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग पर आधारित है। यह फिल्म सैयद अब्दुल रहीम के संघर्षों, उपलब्धियों और भारतीय फुटबॉल को एक नई ऊंचाई तक ले जाने में उनके योगदान को दर्शाती है।
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FAQ
1. syed abdul rahim कौन थे?
सैयद अब्दुल रहीम, जिन्हें प्यार से “रहीम साब” कहा जाता था, भारतीय फुटबॉल के एक महान कोच और प्रबंधक थे। 1950 से 1963 में अपनी मृत्यु तक, उन्होंने भारत की राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व किया और भारतीय फुटबॉल के “स्वर्ण युग” का निर्माण किया।
2. syed abdul rahim का योगदान क्या था?
- रहीम साब ने भारतीय टीम को 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंचाया, जहां वे चौथे स्थान पर रहे। यह ओलंपिक में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
- उन्होंने भारत को 1951, 1954 और 1962 में एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीतने में भी मदद की।
- रहीम साब ने भारतीय फुटबॉल में कई नई रणनीतियां और तकनीकें पेश कीं, जिससे खेल में क्रांति आ गई।
- उन्हें “आधुनिक भारतीय फुटबॉल का वास्तुकार” माना जाता है।
3. उनका जीवन कैसा था?
- रहीम साब का जन्म 17 अगस्त 1909 को हैदराबाद में हुआ था।
- वे एक शिक्षक थे, लेकिन उनका असली जुनून फुटबॉल था।
- उन्होंने 1948 में भारतीय राष्ट्रीय टीम के कोच के रूप में अपना करियर शुरू किया।
- 1950 में, उन्हें भारत का फुटबॉल प्रबंधक नियुक्त किया गया।
- 1963 में, 53 वर्ष की आयु में कैंसर से उनका निधन हो गया।
4. उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- रहीम साब एक कठोर अनुशासक थे, लेकिन वे अपने खिलाड़ियों से भी बहुत प्यार करते थे।
- वे एक प्रेरक वक्ता थे और अपने खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लाने में सक्षम थे।
- उन्हें फुटबॉल के प्रति अपने जुनून और समर्पण के लिए जाना जाता था।
- 2022 में, उनकी जीवन कहानी पर आधारित एक फिल्म “मैदान” रिलीज़ हुई, जिसमें अजय देवगन ने उनका किरदार निभाया।
5. सैयद अब्दुल रहीम भारतीय फुटबॉल के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?रहीम साब ने भारतीय फुटबॉल को एक नई दिशा दी। उन्होंने भारतीय टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई और भारतीय फुटबॉल को दुनिया के मानचित्र पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।