बच्चो का बाल मन एक पौधे की नाजुक और कोमल होता है ,और उनकी यही अवस्था उनके जीवन मूल्यों को सीखने की होती है ,आज के इस लेख में हम जानेंगे की kaise sikhayen bachchon me aadar ki bhavna ?
kaise sikhayen bachchon me aadar ki bhavna
1- घर से ही करे शुरुआत:
कैसे सिखाये बच्चों में आदर की भावना?इस प्रश्न का उत्तर आप स्वयं ही सही-सही आँकलन कर सकते है | बच्चो की पहली पाठशाला उनका घर होता है ,जहा पर उनके सफल जीवन की मजबूत आधारशिला रखी जाती है |नैतिक मूल्यों का विकास पहले घर से ही किया जाये तो बेहतर है,हमें चाहिए की हम अपने घर के माहोल को खुशनुमा और शांत रखे ,एक -दुसरे को सम्मान दे ,भावनाओ को समझे,बड़ो के पैर छुकर आशीर्वाद ले ताकि ,यही गुण हमारे बच्चे अपने आचरण में लाये और चाहे वह स्कूल,मॉल ,पार्क जहा भी जाये वहा आदर से पेश आये
2-बच्चो को समय देना है जरुरी :
3-माता-पिता का रोल है मददगार
माता-पिता का व्यवहार का बच्चों के लिए model साबित होता है ,घर पर पापा का प्यार ,आदर और सम्मान जिस तरह आप करती है उसी रूप में बच्चे भी आप दोनों को सम्मान देंगे | अपने घर के कर्मचारियों से कभी भी गलत ब्यवहार ना करे ,बच्चो को सिखाने से ज्यादा उन्हें देखकर सीखने में मदद मिलती है ।अपने मनमुटाव ,आपसी मदभेद कभी भी उनके सामने न लाये वरना उनकी मानसिकता भी बदलने लग जाती है|अब आपको समझ आ रहा होगा की kaise sikhayen bachchon me aadar ki bhavna .
4-खुली बात के साथ हो एक दायरा भी :
खुली बातचीत को बढ़ावा देना, प्यार और समझदारी के साथ सीमाएँ तय करना भी है जरुरी ,हमें अपने बच्चो से दोस्त जेसा ब्यवहार रखना चाहिए ताकि वह हमसे अपनी अच्छी -बुरी बाते बे-झिझक कर पाए और हम उन्हें सही रास्ता दिखा पाए ,इसके साथ -साथ उनसे बातें करने का एक दायरा भी तय करे ,बच्चो के सामने कभी भी अपने मित्र ,पडोसी ,या रिश्तेदारों की बुराई ना करे क्युकी बच्चे बहुत जल्दी सीखते है ,फिर वह बात अच्छी हो या बुरी ,और फिर वह उनका आदर सम्मान करना पसंद नहीं करते ,बेहतर हो की बच्चे खुद सीखे न की पूर्व मानसिकता के साथ |
5-सभी धर्मो का सम्मान करना सिखाएं :
आदर का भाव ,भेदभाव से परे होना चाहिए |धार्मिक शिक्षा बच्चो में सम्मान की भावना का विकास करती है ,साथ ही हमें जरुरी है की हम बच्चो को सर्व्धार्म्संभव की भावना सिखाये ,बच्चे देश का भविष्य है उन्हें सभी धर्म और रिवाजो का सम्मान सिखाना हमारी ज़िम्मेदारी है |आदर के मूल्य को समझाने के लिए नैतिक और धार्मिक कहानियों का उपयोग करना,जेसे रामजी ,कृषण ,रहीम ,नानक और जीसस हमारे आदर्श है जो आदर की महत्वपूर्णता को प्रस्तुत करते हैं।
6-आदर भाव और आत्मसम्मान की है ,अपनी सीमाये:
जितना ज़रूरी है आदर का भाव ,उतना ही मायने रखता है खुद का सम्मान ,बच्चो को बताये की आपका सही राह पर चलना ,अच्छे दोस्तों का साथ चुन को अपने आचरण में ढालते है तो हर परेशानी का आसानी से सामना आपकी सेल्फ रिस्पेक्ट के लिए बहुत जरुरी है आज हम इन नैतिक मूल्योंना करते और सफल होते है |
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FAQs:
- Q: क्या आदर बच्चे के व्यक्तित्व विकास में मदद कर सकता है?
- A: हाँ, आदर बच्चे के सकारात्मक व्यवहार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Q: कैसे बच्चों में आदर को बढ़ावा देने के लिए तकनीकें हो सकती हैं?
- A: माता-पिता को उदाहरण बनाने के लिए सामाजिक प्रयासों और कहानियों का उपयोग कर सकते हैं।
Q: क्या आदर केवल परिवार और स्कूल में ही महत्वपूर्ण है?
- A: नहीं, आदर समाज में भी महत्वपूर्ण है और सभी स्तरों पर बच्चों के लिए जरुरी है ।
Q: कैसे बच्चों को खुद का आदर बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है?
- A: वे खुद की इज्जत को बनाए रखने के लिए सकारात्मक गतिविधियों और स्वीकृतियों में शामिल हो सकते हैं।
Q: कौन-कौन सी सामाजिक परिस्थितियों में आदर बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है?
- A: सभी सामाजिक परिस्थितियों में आदर बढ़ावा देना उचित है, चाहे वह परिवार हो या स्कूल या समुदाय।
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