IT IS IMPORTANT TO OBEY EVERYTHING THE CHILD SAYS
बच्चो का मन है या नहीं , ये एक अहम् विषय है। हर माता-पिता को चिंता होती है कि उनका बच्चा उनकी बात नहीं सुनता। और अपनी बात मनवाने की जिद पर अडा रहता है | बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करना हर माता-पिता के लिए है पर,क्या जरुरी है bachche ki har baat manna
क्या जरुरी है bachche ki har baat manna ?
1- बच्चे के संस्कार में दे ?
परिवार एक ऐसी जगह है जहां बच्चों के संस्कारों का विकास होता है, हर छोटी से छोटी बात को सीखता है, और दैनिक जीवन में उसका पालन भी करता है। सही संस्कार और पालन करने के लिए माता-पिता को अपने बच्चों को समझाकर सही संस्कार देना चाहिए।
2-हर बात सही नहीं होती:-
क्या जरुरी है bachche ki har baat manna ? तो इसका सीधा -सीधा जबाब है कि बिल्कुल नही | वही बातें मानी जाएगी जो पूरे परिवार के हित में होगी , हर बात मन की नहीं मानी जाएगी क्यों की उनकी उम्र के हिसाब से वह जो कुछ समझ रहे है वह उस बात का सही या गलत होने का अनुमान नही लगा सकते . बच्चों को समझाएं कि जीवन में सही बातें क्या हैं और उन्हें कैसे पहचानना है । बच्चों को स्थिति और समय का महत्व बताएं |
3-बच्चों को समझाएँ:-
बच्चों का बाल मन बहुत चंचल होता है जो हर चीज़ को पाने की चाहत रखता है, पर अगर हम उन्हें प्यार से समझाएं कि वह कौन सी बातें है जो उनके और परिवार दोनों के हित में सही है तो वह भी मानता है, पर इसके लिए आपको अपने बच्चे को प्यार से समझाना होगा ना कि गुस्से या नाराजगी से | खास कर उन्हें बातों बातों में अपनी आर्थिक स्तिथि से जरूर अवगत कराएँ | क्योंकि की bachche ki har baat manna कही से भी जायज नहीं है |
4-संवेदनशील बनायें:-
घर के संस्कार बच्चों के जीवन का आधार होता है जो उन्हें जीवन भर मजबूत बनाता है, माता-पिता को बच्चों को संवेदनाशील बनाना चाहिए। उन्हें ये समझाना होगा कि उनके विचार और उन विचारों का निष्कर्ष क्या होगा । इसके लिए बच्चे से आपकी बोन्डिंग बहुत अच्छी होना चाहिए ताकि वह धैर्य से आपकी बातें सुन सके और उन बातों par विश्वास कर सके | bachche ki har baat manna बिलकुल भी ठीक नहीं है, par हर बार उनकी बातें नहीं मानना भी ठीक नहीं |इस परिस्तिथि में आप उनकी छोटी -छोटी बातें मान सकते है और उनकी नाराजगी और गुस्से को कम कर सकते है |
5-ना कहना है जरुरी:-
अधिकतर माता-पिता का अपने अधिकार का उपयोग “अपमान का अधिकार ” के रूप में करते है । हमेशा याद रखे कि गुस्से में हो तो बच्चो से बात करने से बचें जब आप गुस्से पर control पा लें तो आप समझ ले की अब आप बच्चों से बात करने को पूरी तरह तैयार है|आप हमेशा बच्चों से प्यार से, संवेदनाशील भाषा में अपनी बात करें। जीवन की बहुत सी परिस्थितियों को समझें और बच्चों को “ना-सुन” का भी आदि बनाएं| इस लेख को पढकरआपके प्रश्नों के उत्तर मिल रहे होंगे कि क्या जरुरी है bachche ki har baat manna ?
6-विश्वास करना सिखाये
बच्चों को बताएं कि माता -पिता की परिस्थिति किस प्रकार की है, अगर हम उन्हें किसी चीज के लिए ना कहते हैं तो उन्हें पता होना चाहिए की उसके पीछे कारण क्या है,बच्चों को अपनी स्तिथि की जानकारी छोटी छोटी बातों में समझाते रहे ताकि यथास्तिथि की भावना विकसित हो सके |उनको मजाक मस्ती में सिखाये की , उनका कितना हित शामिल है और माँ – बाप पर इसका क्या असर पड़ेगा और माँ – बाप पर विश्वास बनाए रखना सिखाएं |
7-संवेदनशील बनने की शिक्षा:-
माता-पिता अपने बच्चों को संवेदनाशील बनने की शिक्षा देंगे तो ये उनका नज़रिया और सोच बदल सकती है।
संवेदनात्मक व्यक्ति बनने के लिए, बच्चों को हर बात समझाई जा सकती है, लेकिन निर्देश और प्रभाव होने का अर्थ उनका होना चाहिए। अब आप समझ गये होंगे कि क्या जरुरी है bachche ki har baat manna
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बारम्बार पूछे जाने वाले प्रश्न —
- 1- बच्चों की सहायता कैसे की जा सकती है?
- उनकी बातों को समझिये, सही दिशा क्या है |
- 2- उनके साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए कुछ टिप्स
- बच्चे के साथ दोस्ती माहोल रखे,खुलकर बात करे |
- 3-बच्चों को कैसे समझाएं कि सही और गलत कैसे समझें?
- उन्हें उदाहरण देकर अच्छी तरह से समझा जा सकता है |
इस लेख में हमने देखा क्या जरुरी हैbachche ki har baat manna ? तो बच्चो का बाल मन बहुत चंचल होता है जो उन्हें हर बात को मनवाने की इच्छा रखता है पर माता -पिता होने के नाते हमें बच्चो को सही और गलत की जानकारी देना चाहिए ,उनकी हर बात मानना जरुरी नहीं है ,इस बात के लिए उन्हें जानकारी दे और जीवन में सफलता दिलाने में मदद करती है।🙏🙏🙏🙏🙏