lal krishna advani का बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित थे। वे 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान कराची छोड़ दिया और भारत आ गए।
Table of Contents
Lal Krishna Advani का शुरूआती जीवन
lal krishna advani का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची, सिंध (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता, किशनchand D. आडवाणी, एक व्यापारी थे और उनकी माता, ज्ञानी देवी, एक गृहिणी थीं। आडवाणी की एक बड़ी बहन, शीला आडवाणी, भी थीं।
आडवाणी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल और डी.जी. नेशनल कॉलेज, हैदराबाद में प्राप्त की। उन्होंने 1950 में मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की।
आडवाणी बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित थे। वे 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान कराची छोड़ दिया और भारत आ गए।
लाल कृष्ण आडवाणी की शादीशुदा जिंदगी
Lal Krishna Advani ने 1965 में कमला आडवाणी से शादी की थी। कमला आडवाणी एक शिक्षिका थीं और 2016 में उनका निधन हो गया। आडवाणी की शादीशुदा जिंदगी काफी सरल रही।
lal krishna advani और कमला की मुलाकात 1950 के दशक में मुंबई में हुई थी। वे दोनों आरएसएस से जुड़े थे और राष्ट्रवादी विचारों में उनकी समान रुचि थी। वे 1965 में शादी के बंधन में बंध गए।
कमला आडवाणी अपने पति के राजनीतिक करियर में एक मजबूत स्तंभ थीं। उन्होंने हमेशा अपने पति का समर्थन किया और उनके राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे एक कुशल गृहिणी भी थीं और उन्होंने अपने परिवार का ख्याल रखा।
आडवाणी और कमला के दो बच्चे हैं, प्रतिभा आडवाणी और जयंत आडवाणी। प्रतिभा आडवाणी एक वकील हैं और जयंत आडवाणी एक व्यवसायी हैं।
कमला आडवाणी का 2016 में निधन हो गया। उनकी मृत्यु से आडवाणी को गहरा आघात लगा। उन्होंने अपनी पत्नी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उनके बिना मेरा जीवन अधूरा है,वह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा थीं।
Lal Krishna Advani का राजनीतिक सफर
Lal Krishna Advani बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरित थे। वे 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। उन्होंने 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान कराची छोड़ दिया और भारत आ गए।
भारत आने के बाद, आडवाणी ने आरएसएस के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने 1951 में ‘ऑर्गनाइज़र’, आरएसएस के मुखपत्र, में काम करना शुरू किया। वे 1957 में भारतीय जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती) के सदस्य बने।
lal krishna advani ने 1960 के दशक में भाजपा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1970 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 1973 में भाजपा के महासचिव बने। वे 1977 में जनता पार्टी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री बने।
आडवाणी 1980 के दशक में भाजपा के नेता के रूप में उभरे। वे 1986 में भाजपा अध्यक्ष बने और उन्होंने पार्टी को एक राष्ट्रीय पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1990 में गृह मंत्री बने और उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया।
आडवाणी 1998 में भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार में उप प्रधानमंत्री बने। वे 2005 में फिर से भाजपा अध्यक्ष बने और 2015 में राजनीति से संन्यास ले लिया।
राजनीतिक सफर की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं:
- 1947: आरएसएस के प्रचारक बने
- 1951: भारतीय जनसंघ के सदस्य बने
- 1970: राज्यसभा के लिए चुने गए
- 1973: भाजपा के महासचिव बने
- 1977: सूचना और प्रसारण मंत्री बने
- 1986: भाजपा अध्यक्ष बने
- 1990: गृह मंत्री बने
- 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भाजपा से इस्तीफा दिया
- 1998: उप प्रधानमंत्री बने
- 2005: भाजपा अध्यक्ष बने
- 2015: राजनीति से संन्यास लिया
Lal Krishna Advani भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और उन्होंने पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। वे एक कुशल वक्ता और रणनीतिकार हैं।
राजनीतिक सफर की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं:
- 1947: आरएसएस के प्रचारक बने
- 1951: भारतीय जनसंघ के सदस्य बने
- 1970: राज्यसभा के लिए चुने गए
- 1973: भाजपा के महासचिव बने
- 1977: सूचना और प्रसारण मंत्री बने
- 1986: भाजपा अध्यक्ष बने
- 1990: गृह मंत्री बने
- 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भाजपा से इस्तीफा दिया
- 1998: उप प्रधानमंत्री बने
- 2005: भाजपा अध्यक्ष बने
- 2015: राजनीति से संन्यास लिया
अन्य पद:
- 1951-1957: ऑर्गनाइज़र (आरएसएस का मुखपत्र) में संपादकीय भूमिका
- 1967-1970: ‘जनसंघ’ पत्रिका के संपादक
- 1977-1979: जनता पार्टी के प्रवक्ता
- 1991-1998: विपक्ष के नेता, लोकसभा
- 2004-2009: विपक्ष के नेता, राज्यसभा
यहाँ कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
- आडवाणी ने 10 बार लोकसभा और 4 बार राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ा।
- आडवाणी ने 6 बार भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला।
- आडवाणी को 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
Lal Krishna Advani भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और उन्होंने पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। वे एक कुशल वक्ता और रणनीतिकार हैं।
राम रथ यात्रा
राम रथ यात्रा भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस यात्रा ने भारतीय राजनीति में धार्मिक राष्ट्रवाद के महत्व को बढ़ाया और भाजपा को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राम रथ यात्रा: विस्तृत विवरण
राम रथ यात्रा, जो 25 सितंबर 1990 से 30 अक्टूबर 1990 तक चली थी, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। यह यात्रा, जिसका नेतृत्व Lal Krishna Advaniने किया था, ने राम जन्मभूमि आंदोलन को गति प्रदान की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यात्रा की शुरुआत:
25 सितंबर 1990 को, भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में माने जाने वाले सोमनाथ मंदिर से राम रथ यात्रा शुरू हुई। इस यात्रा में भाजपा के नेता, कार्यकर्ता और लाखों रामभक्त शामिल थे। यात्रा का नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी ने किया, जो उस समय भाजपा के अध्यक्ष थे।
यात्रा का मार्ग:
राम रथ यात्रा 15 राज्यों और 400 से अधिक शहरों से होकर गुजरी। यात्रा के दौरान, आडवाणी ने जनसभाओं को संबोधित किया और राम मंदिर के निर्माण के लिए समर्थन जुटाया।
यात्रा का प्रभाव:
राम रथ यात्रा 15 राज्यों और 400 से अधिक शहरों से हो
राम रथ यात्रा का भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। यात्रा ने राम जन्मभूमि आंदोलन को गति प्रदान की और भाजपा को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यात्रा ने भारतीय राजनीति में धार्मिक राष्ट्रवाद के महत्व को भी बढ़ाया।
कर गुजरी। यात्रा के दौरान, आडवाणी ने जनसभाओं को संबोधित किया और राम मंदिर के निर्माण के लिए समर्थन जुटाया।
विवाद:
राम रथ यात्रा एक विवादास्पद घटना भी थी। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि यह यात्रा सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देती है और हिंसा को भड़काती है। यात्रा के दौरान कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी हुईं।
राम रथ यात्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- यात्रा 3,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती थी।
- यात्रा में 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे।
- यात्रा के दौरान 150 से अधिक जनसभाएं आयोजित की गईं।
- यात्रा ने भाजपा को 1991 के लोकसभा चुनावों में 120 सीटें जीतने में मदद की।
- 6 दिसंबर 1992 को, अयोध्या में बाबरी मस्जिद को हिंदू कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। इस घटना ने भारत में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया और देश भर में हिंसा हुई।
- Lal Krishna Advani, जो उस समय भाजपा के अध्यक्ष थे, को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार माना जाता था। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कारसेवकों को मस्जिद गिराने के लिए उकसाया था।
- 2005 में, एक विशेष सीबीआई अदालत ने आडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए षड्यंत्र रचने का दोषी ठहराया। उन्हें 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
- 2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ सबूत अपर्याप्त थे।
- 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया और आडवाणी और अन्य भाजपा नेताओं को बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए 5 साल की कैद की सजा सुनाई।
- हालांकि, आडवाणी को उनकी उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर जेल से रिहा कर दिया गया था।
पुस्तकें और संस्मरण :
इंडिया: ए नेशन विद अ सोल (2012)
माई कंट्री माय लाइफ
- A Prisoner’s Scrap-Book
आपातकाल के दौरान जेल में आडवाणी के समय का संस्मरण है My Country My Life एक Autobiography है जो आडवाणी के बचपन से लेकर उनके राजनीतिक करियर तक को कवर करती है।
Lal Krishna Advani को भारत रत्न एक विवादास्पद मुद्दा
समर्थकों का तर्क:
- आडवाणी एक वरिष्ठ राजनेता हैं जिन्होंने भारत की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
- उन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन और 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की जीत शामिल है।
- उन्हें एक कुशल वक्ता और विचारक माना जाता है।
विरोधियों का तर्क:
- आडवाणी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदारी का आरोप है।
- उन्होंने सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
- उनके कुछ विचार और नीतियां विवादास्पद रही हैं।
सरकार का तर्क:
- सरकार का कहना है कि आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है क्योंकि उन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- सरकार का यह भी कहना है कि आडवाणी एक लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें देश भर में सम्मानित किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत रत्न एक गैर-राजनीतिक पुरस्कार है। यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने देश के लिए असाधारण योगदान दिया है।
आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का फैसला राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है। यह कहना मुश्किल है कि यह फैसला सही है या गलत।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का फैसला सरकार द्वारा लिया जाता है। यह फैसला किसी भी व्यक्ति या समूह पर थोपा नहीं जा सकता है.
- also read:- jhulan goswami ki biography
FAQ
प्रश्न 1:
Lal Krishna Advani का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची, सिंध (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
प्रश्न 2:
Lal Krishna Advani का राजनीतिक करियर कब शुरू हुआ?
उत्तर: आडवाणी का राजनीतिक करियर 1947 में आरएसएस के प्रचारक बनने के साथ शुरू हुआ।
प्रश्न 3:
Lal Krishna Advani ने कौन से महत्वपूर्ण पद संभाले हैं?
उत्तर: आडवाणी ने कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं, जिनमें उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य शामिल हैं।
प्रश्न 4: राम रथ यात्रा क्या थी?
उत्तर: राम रथ यात्रा 1990 में भाजपा द्वारा आयोजित एक राजनीतिक रैली थी। इसका उद्देश्य राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन देना और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग करना था।
प्रश्न 5: बाबरी मस्जिद विध्वंस में Lal Krishna Advani की क्या भूमिका थी?
उत्तर: आडवाणी पर बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदारी का आरोप है। उन्हें कार सेवकों को मस्जिद गिराने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।
प्रश्न 6: Lal Krishna Advani को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था?
उत्तर:आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
प्रश्न 7: Lal Krishna Advaniकी वर्तमान राजनीतिक स्थिति क्या है?
उत्तर: आडवाणी ने 2015 में राजनीति से संन्यास ले लिया। हालांकि, वह अभी भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता के रूप में माने जाते हैं।