हमें period par khul ke baat करना बहुत ही जरुरी है . पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म या रजस्वा भी कहा जाता है, महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हर महीने गर्भाशय की अस्तर को बहने और शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया है।हालांकि, कई समाजों में पीरियड्स को लेकर गलत धारणाएं और कलंक मौजूद हैं। इन धारणाओं के कारण महिलाओं को अक्सर शर्मिंदा और अलग-थलग महसूस करना पड़ता है।यह महत्वपूर्ण है कि हम period par khul ke baat करें ताकि इन गलत धारणाओं को दूर किया जा सके और महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।
period par khul ke baat करने के 10 महत्वपूर्ण कारण:
1- गलत धारणाओं को दूर करना:
- पीरियड्स को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जैसे कि यह अपवित्र या शर्मनाक है। इन धारणाओं को दूर करने के लिए ज़रूरी है कि लोग period par khul ke baat बात करें।यह शिक्षा लोगों को यह समझने में मदद करेगी कि पीरियड्स एक स्वस्थ और प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके लिए महिलाओं को शर्मिंदा या परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
2- जागरूकता फैलाना:
पीरियड्स से जुड़े स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए भी खुली बातचीत ज़रूरी है।यह महिलाओं को अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा और उन्हें पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए बेहतर तरीके सिखाएगा
3- लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाना:
- period par khul ke baat करने से लड़कियों और महिलाओं को अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में सशक्त महसूस करने में मदद मिलती है।यह उन्हें अपनी शर्तों पर अपने जीवन जीने और समाज में समान रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करेगा।
4- सामाजिक समर्थन बढ़ाना:
period par khul ke baat करें तो इससे जुड़ी शर्मिंदगी और कलंक कम होता है, जिससे महिलाओं को सामाजिक समर्थन मिलता है।यह उन्हें पीरियड्स के दौरान होने वाली शारीरिक और भावनात्मक परेशानियों से निपटने में मदद करेगा। और वो सामाजिक स्तर पर अपने आप को अलग महसूस नहीं करती .
5- पीरियड्स से जुड़े उत्पादों तक पहुंच में सुधार:
period par khul ke baat से पीरियड से जुड़े उत्पादों, जैसे कि सैनिटरी पैड और टैम्पोन, तक पहुंच में सुधार हो सकता है।यह महिलाओं को स्वच्छता बनाए रखने और पीरियड्स के दौरान आराम से रहने में मदद करेगा। साथ ही महिलाएं बेझिझक दुकानदार से मांग कर सकेंगी .
6- लैंगिक समानता को बढ़ावा देना:
period par khul ke baat करना लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।यह पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता को बढ़ावा देगा और महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता पैदा करेगा।
7- अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना:
पीरियड्स से जुड़े स्वास्थ्य समस्याओं और उनसे निपटने के तरीकों पर अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए period par khul ke baat ज़रूरी है।यह महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करेगा। साथ ही लोगों की सोच को भी बदलने में सहायक होगा .
8- पीरियड्स से जुड़ी छुट्टी की नीतियां बनाने में मदद करना
पीरियड्स से जुड़ी छुट्टी जैसी नीतियां बनाने के लिए भी खुली बातचीत ज़रूरी है, ताकि महिलाओं को कामकाजी जीवन में सहूलियत मिल सके | period में होने वाली तकलीफ और complication में राहत मिल सके .जिससे तकलीफ के उन दिनों में आराम कर पायें .
9- पुरुषों को शिक्षित करना :
पुरुषो से period par khul ke baat और उनको शिक्षित करना भी ज़रूरी है ताकि वे महिलाओं का बेहतर समर्थन कर सकें।यह पुरुषों को महिलाओं के अनुभवों को समझने और उनका सम्मान करने में मदद करेगा, और पीरियड्स से जुड़ी गलत धारणाओं को दूर करने में भी योगदान देगा. पुरुष की समझदारी ही period के दिनों को गन्दा या अपवित्र मानने की धारणा को मिटा सकता है .
10- एक स्वस्थ और खुशहाल समाज बनाना
- period par khul ke baat करना एक स्वस्थ और खुशहाल समाज बनाने में योगदान देता है।यह महिलाओं को सशक्त बनाकर, लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर और पीरियड्स से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान खोजकर समाज के सभी सदस्यों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने में मदद करेगा।पीरियड्स महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है।
इस बारे में खुलकर बात करना महत्वपूर्ण है ताकि गलत धारणाओं को दूर किया जा सके, महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके और एक स्वस्थ और खुशहाल समाज बनाया जा सके।
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FAQs
1. पीरियड्स क्या होते हैं?
पीरियड्स, जिन्हें मासिक धर्म या रजस्वला भी कहा जाता है, हर महीने होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। गर्भधारण न होने पर, शरीर गर्भाशय की अतिरिक्त परत को निकाल देता है, और यही खून के रूप में योनि से बाहर निकलता है। यह आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक चलता है।
2. पीरियड्स कब शुरू होते हैं और कब तक चलते हैं?
आमतौर पर लड़कियों में पीरियड्स 10 से 15 साल की उम्र के बीच शुरू होते हैं। हालांकि, यह हर किसी के लिए अलग हो सकता है। पीरियड्स का चक्र भी हर महीने थोड़ा बहुत बदल सकता है, लेकिन ज्यादातर यह 21 से 35 दिनों के बीच होता है।
3. पीरियड्स के दौरान क्या महसूस होता है?
कुछ लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ऐंठन, पीठ दर्द, थकान, या मिजाज़ बदलने का अनुभव हो सकता है। ये सब सामान्य बातें हैं। हालांकि, अगर आपको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है या आपका पीरियड्स बहुत लंबा चल रहा है, तो डॉक्टर से बात ज़रूरी है।
4. पीरियड्स के दौरान किन चीज़ों का इस्तेमाल किया जा सकता है?
पीरियड्स के दौरान आप सैनिटरी पैड्स, टैम्पोन या म menstrual कप का इस्तेमाल कर सकती हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपको कौन सी चीज़ ज्यादा सहूलियत देती है।
5. क्या पीरियड्स के दौरान व्यायाम करना ठीक है?
बिल्कुल! वास्तव में, हल्का व्यायाम आपके पीरियड्स के दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है।
6. क्या पीरियड्स के दौरान स्विमिंग करना ठीक है?
हां, पीरियड्स के दौरान स्विमिंग करना सुरक्षित है। आप टैम्पोन या पीरियड कप का इस्तेमाल कर सकती हैं। हालांकि, पैड का इस्तेमाल स्विमिंग के लिए नहीं किया जाता है।
7. क्या पीरियड्स के दौरान सेक्स करना ठीक है?
पीरियड्स के दौरान सेक्स करना पूरी तरह से सुरक्षित है, बशर्ते दोनों साथी सहमत हों। हालांकि, कुछ महिलाओं को सेक्स के दौरान असहजता महसूस हो सकती है।
8. अगर पीरियड्स अनियमित हों तो क्या करें?
अगर आपका पीरियड्स देरी से आ रहा है या बिल्कुल नहीं आ रहा है, तो चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। तनाव, वजन में बदलाव या बीमारी जैसी कई चीजें पीरियड्स को अनियमित कर सकती हैं। लेकिन अगर आप परेशान हैं या आपकी उम्र 18 साल से अधिक है और आपको लगातार 3 महीने से पीरियड्स नहीं आ रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें।
9. पीरियड्स के बारे में किससे बात कर सकती हूं?
आप अपनी माँ, बहन, किसी महिला रिश्तेदार या डॉक्टर से पीरियड्स के बारे में बात कर सकती हैं। पीरियड्स एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, इस बारे में बात करने में कोई शर्म नहीं है।
10. क्या पीरियड्स की वजह से स्कूल जाने से छुट्टी ले सकती हूं?
हां, अगर पीरियड्स के दौरान आप बहुत ज्यादा अस्वस्थ महसूस कर रहीं हैं या आपको बहुत दर्द हो रहा है, तो आप स्कूल जाने से छुट्टी ले सकती हैं। अपने माता-पिता या गार्जियन को बताएं और स्कूल में भी सूचित करें।