बच्चों का रुखा व्यवहार कितना सही ? Bachho ka Rukha behavior
बच्चों का रूखा व्यवहार कितना सही ? सामान्य तौर पर यह उनके व्यवहार, परिस्थितयों और उनके उम्र के अनुरूप होता है। कुछ बच्चे रूखे व्यवहार दिखाते हैं, जो समय के साथ सुधर जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चों का रुखा व्यवहार लंबे समय तक बना रहता है। ये मुख्य रूप से निम्न प्रकार के कारणों से हो सकता है:
बच्चों का रूखा व्यवहार कितना सही ?
उम्र : छोटी उमर के बच्चे अधिकतर रुखा व्यवहार दिखाते हैं। वे अपने भविष्य में समझने और सुधारने कि क्षमता नहीं रखते।न ही वह अच्छे बुरे का भेद समझते है .
परिस्थितियाँ: परिस्थितियाँ जैसे घर के माहौल, पारिवारिक स्थिति, और स्कूल में होने वाले दुष्प्रभाव बच्चे के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएँ: कभी-कभी स्वास्थ्य समस्याएँ भी रुखा व्यवहार का कारण बन सकती हैं। अक्सर बीमार रहने वाले बच्चो की आदतों में रूखापन या चिडचिडापन आना स्वाभाविक होता है ,जिसके लिए डाक्टर से सलाह लेना महत्तवपूर्ण हो सकता है।
मानसिक समस्याएं: मानसिक समस्याएं जैसे चिंता, अवसाद, या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) भी बच्चे के व्यवहार पर प्रभाव डाल सकती हैं।
पारिवारिक समस्याएं: पारिवारिक समस्याएं भी बच्चे के रूखे व्यवहार का कारण बन सकती हैं। पारिवारिक संबंधो में कठनाई भी बच्चे के व्यवहार को असर डाल सकती हैं।उन्हें एकल माहोल में भी ढालती है .आप अपने पारिवारिक माहौल से जाने और उसे बेहतर करने की कौशिश करें और फिर विचार करें कि बच्चों का रूखा व्यवहार कितना सही ? और उसमे आपकी भूमिका कितनी सही है ?
रूखा व्यवहार होने पर, बच्चों के साथ संवेदनाशील व्यवहार और धैर्य की जरूरत होती है। पारिवारिक माहोल को खुशनुमा बनाकर ,बच्चे की रूचि क अनुसार उन्हें किसी काम में लगाकर जेसे -उन्हें पेंटिंग ,आर्ट।से भी बच्चे के व्यव्हार को बदला जा सकता है और उन्हें खुशनुमा बनाया जा सकता है .फिर भी अगर बच्चे का रुखा व्यवहार लंबे समय तक बना रहता है और दिन-प्रति-दिन बढ़ता जा रहा है, तो चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञं से सलाह लेना चाहिए |अब आपको लग रहा होगा कि बच्चों का रूखा व्यवहार कितना सही ? और इसपर चर्चा जरुरी क्यों है |
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