||किस हद तक सही है ,बच्चों पर हाथ उठाना||TO what extent is it right to raise hands on children

 

”किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना”

TO what extent is it right to raise hands on children

 

 

एक सवाल लगातार उठता रहता है कि, ” किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना ” आज की दुनिया में, बच्चों को अनुशासित करना एक ऐसा विषय है जो कई बहसों और चर्चाओं को जन्म देता है। तो आज हम इस लेख में, हम जानेंगे की कुछ नए तरीको को अपनाकर भी हम बच्चो पर हाँथ उठाये बिना उन्हें अनुशासित और सभ्य बना सकते है —-

अनुशासन को समझना

अनुशासन को परिभाषित करना

बच्चों के पालन-पोषण में अनुशासन एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें उन्हें सही-गलत की शिक्षा देना, मूल्यों को स्थापित करना और जिम्मेदार व्यक्ति बनने की दिशा में मार्गदर्शन करना शामिल है।और एक अभिभावक होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है की हम अपने बच्चे की नीव को सही खाद और पोषण दे |

माता-पिता की भूमिका

 

 

माता-पिता अपने बच्चों के व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अनुशासन और मार्गदर्शन के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।बच्चे अपने दिन के 24 घंटे में से सबसे ज्यादा टाइम 14 घंटे अपने घर में बिताते है ,इस दौरान वह अपने माता -पिता के व्यवहार से ही सीखते है इसीलिए मातापिता को सोचना होगा कि किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना तो इसलिए हमें चाहिए की हम अपने घर के बातावरण को अनुशासित और सभ्य रख सके|

शारीरिक सज़ा: पक्ष और विपक्ष

पारंपरिक दृष्टिकोण

ऐतिहासिक रूप से हमारी मान्यता बन चुकी है की, शारीरिक दंड, जैसे पिटाई या थप्पड़ मारना, बच्चों को अनुशासित करने का एक सामान्य तरीका रहा है।पर ये सभी तरीके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डालते है ,इस की बजाये यदि हम बच्चो को समझाने के लिए प्यार और नरमी भरा माहोल रखेंगे तो ज्यादा असरदायक होगा | अब आपको लग रहा होगा कि किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना

नकारात्मक प्रभाव

 

 

शोध से पता चलता है कि शारीरिक दंड से भावनात्मक आघात और आक्रामक व्यवहार सहित नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।यदि हम अक्सर बच्चे को समझाने के लिए उस पर हाँथ उठाते है तो बच्चा आक्रामक और भयभीत हो सकता है या फिर आपके प्रति बत्तमीजी करने को उतारू हो सकता है | अब आप ही सोचें किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना

शारीरिक दंड के विकल्प:[ किस हद तक सही है बच्चों पर हाथ उठाना ]

संचार और समझ

बच्चों को अनुशासित करने के लिए प्रभावी संचार और समझ आवश्यक है। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संबंध और विश्वास स्थापित करने की आवश्यकता है।माता पिता के फ्रेंडली व्यवहार से बच्चे सहेज महसूस करेंगे ओरे यदि हम उन्हें प्यार से समझाते है तो बच्चे इसे जल्दी समझते है |

टाइम-आउट और परिणाम

दुर्व्यवहार के लिए टाइम-आउट और परिणाम लागू करना अनुशासन के लिए एक उत्पादक दृष्टिकोण हो सकता है।

सकारात्मक तरीका

 

 

सकारात्मक सुदृढीकरण के साथ अच्छे व्यवहार को पुरस्कृत करने से बच्चों को बेहतर विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।उन्हें समझाए की आपका good behavior आपकी पहचान है ,उन्हें अनुशासन से हने वाले फायदे बताये भी बताये|

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

भावनात्मक कल्याण

शारीरिक दंड बच्चे की भावनात्मक नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे भय और नाराजगी की भावनाएं पैदा हो सकती हैं।और उनके मन में यह बात घर कर जायगी की कोई भी गलती पर उन्हें मरेंगे और इसी तरह वह धीट हो जायेंगे|

दीर्घकालिक प्रभाव

बच्चो के मन कोमल होते है उन्हें नहीं पता होता की क्या सही है और क्या गलत| पर हम उन्हें डांटते और चिल्ला देते है जो विल्कुल भी सही नही है,शारीरिक दंड के दीर्घकालिक प्रभाव बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों पर स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं। क्या अब भी आपको लगता है कि किस हद तक सही है ,बच्चों पर हाथ उठाना

शिक्षा का महत्व

पेरेंटिंग कार्यशालाएँ

 

 

 

आज के दौर में एकल परिवार का चलन है ,बच्चो को नाना नानी ,दादा दादी के प्यार से भी वंचित रहना पढ रहा है ,कामकाजी पेरेंट्स होने के नाते हम बच्चो को पर्याप्त टाइम नहीं दे पाते और उनकी बातों को बेहतर ढंग से समझ भी नहीं पाते |इस स्तिथि में पेरेंटिंग कार्यशालाओं और कक्षाओं में भाग लेने से माता-पिता को प्रभावी अनुशासन तकनीक सीखने में मदद मिल सकती है।

जागरूकता बढ़ाना

शैक्षिक पहलों से शारीरिक दंड के विकल्पों के बारे में जागरूकता बढ़नी चाहिए।इस के लिए स्कूलो में समय- समय पर पेरेंटिंग कार्यशालाओ का आयोजन ,सेमीनार ,वर्कशॉप का आयोजन होते रहना चाहिए |

निष्कर्षतः, अनुशासन के साधन के रूप में बच्चों पर हाथ उठाना एक विवादास्पद मुद्दा है। शोध और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चों में मूल्य स्थापित करने और उनका मार्गदर्शन करने के अधिक प्रभावी और मानवीय तरीके हैं। माता-पिता के लिए वैकल्पिक अनुशासनात्मक तरीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है जो संचार, समझ और सकारात्मक सुदृढीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसा करके, हम एक ऐसा पोषण वातावरण बना सकते हैं जो स्वस्थ बाल विकास को बढ़ावा दे।

also read :-

क्या जरुरी है बच्चों की हर बात मानना 

पूछे जाने वाले प्रश्न

  • क्या शारीरिक सज़ा कभी उचित है?
  • शारीरिक सज़ा आम तौर पर उचित नहीं है, क्योंकि इससे नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। वैकल्पिक अनुशासनात्मक तरीकों का पता लगाना आवश्यक है।
  • शारीरिक दंड के विकल्प क्या हैं?

  • विकल्पों में प्रभावी संचार, टाइम-आउट, परिणाम और सकारात्मक सुदृढीकरण शामिल हैं।
  • माता-पिता अपने बच्चे को अनुशासित करते हुए उसकी भावनात्मक भलाई कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?

  • माता-पिता को खुला संचार बनाए रखना चाहिए, समझदारी दिखानी चाहिए और स्वस्थ भावनात्मक वातावरण बनाने के लिए सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करना चाहिए।
  • क्या बच्चों पर शारीरिक सज़ा का कोई दीर्घकालिक प्रभाव होता है?

  • हाँ, शारीरिक सज़ा का बच्चे के बड़े होने पर उसके मानसिक स्वास्थ्य और उनके रिश्तों पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।
  • माता-पिता के लिए वैकल्पिक अनुशासनात्मक तरीकों के बारे में सीखने के लिए कुछ संसाधन क्या हैं?

  • वैकल्पिक अनुशासनात्मक तरीकों की तलाश करने वाले माता-पिता के लिए पेरेंटिंग कार्यशालाएं, कक्षाएं और शैक्षिक पहल मूल्यवान संसाधन हैं।

इस लेख का उद्देश्य हमारे बच्चों को जिम्मेदार और अच्छी तरह से समायोजित व्यक्तियों में आकार देने में प्रभावी और अहिंसक अनुशासन के महत्व पर प्रकाश डालना है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Jane Radha Rani ke In 9 Namo Ka Matlab MP Ke Top 9 Waterfall Amazing Facts About : Shatrughan Shinha Kyu Fatkara tha ANUPAM KHER ne MAHESH BHATT ko Amazing Facts About : ROHIT SHARMA AMAZING FACTS ABOUT : ARUNA IRANI AMAZING FACTS ABOUT : NANA PATEKAR Kyu Mila Tha VIDHYA BALAN Ko Manhoos Ka TAG RATAN TATA : kyo reh gaye KUWARE Amazing Facts about : RATAN TATA